राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान इसे बनाया गया था| ये कानून देश की सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है| यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है| इसमें हिरासत में लिए व्यक्ति को अधिकमत एक साल जेल में रखा जा सकता है| इस कानून का उपयोग जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकता है। आइए इस कानून बारे में विस्तार से जानते हैं|
इस अधिनियम के तहत किसे निरुद्ध (detain/arrest) कर सकते हैं | (section
3)
(1) यदि केंद्र व राज्य
सरकार इस
बात से
संतुष्ट है
की -
- कोई
व्यक्ति भारत
सरकार के
रक्षा मामलों
, विदेशी शक्तियों
से भारत
के संबंध,या भारत
की
रक्षा, के
संदर्भ में
हानि पहुंचाने
का कार्य
करता है
|
-केंद्र व राज्य सरकार को
ऐसा लगता
है की
किसी विदेशी
व्यक्ति की
मौजूदगी को
निरंतर
बनाये
रखने व
उसे देश
से बाहर
निकालने (expulsion from country) के लिए उस
विदेशी
व्यक्ति को
गिरफ्तार करना आवश्यक
है |
(2) राज्य
की सुरक्षा
के खिलाफ
कोई कार्य
करता है
(3) लोक व्यवस्था या शांति
को भांग
करने का
कार्य करता
है
(4) सरकार द्वारा किसी आवश्यक
सप्लाई या
किसी आवश्यक
सेवा (essential services) की
सप्लाई
में बाधा
उत्त्पन करता
है |
तो
उपयुक्त अवस्थाओं
में सरकार
द्वारा उस
व्यक्ति निरुद्ध/गिरफ्तार
करने
का आदेश
दिया जा सकता है |
निरुद्ध किये गए व्यक्ति को निरुद्ध करने के अधार को बताना (साधारण स्तिथि में 5 दिन के भीतर और असाधारण स्तिथि में 15 दिन के भीतर) (section 8)
जब
किसी व्यक्ति
को इस
अधिनियम के
तहत गिरफ्तार
किया जाता
है तो
उस व्यक्ति
को यथाशीघ्र
लेकिन निरुद्ध
के 5
दिन बाद
नहीं और
असाधारण स्तिथि
में जिसका
कारण लिखित
में बताया
जाये 15
दिन के
भीतर निरुद्ध
के अधार
को बताया
जाए और
निरुद्ध के
आदेश के
खिलाफ उपयुक्त
सरकार को
आवेदन करने
का अवसर
देगा |
निरुद्ध
की अधिकतम अवधि (section13)
इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने के लिए निरुद्ध (detain) किया
जा सकता है | परन्तु यदि सरकार चाहे तो इस समय अवधी को 12 महीने से भी कम कर सकती है
|
रासुका में Crpc में उल्लेखित गिरफ्त्तारी और जमानत के नियम लागु होते है या नहीं ?
साधारण केस में जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उस व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना होता है | गिरफ्तार किये गए व्यक्ति के पास अपनी पसंद का वकील करने का अधिकार होता है तथा जमानत का भी अधिकार होता है परन्तु रासुका के तहत गिरफ्तार व्यक्ति के पास इनमे से कोई सा भी अधिकार नहीं होता है
Nyc
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